मेरी कहानी के पिछले भाग में आप सभी ने पढ़ा था कि मैं अब एक पक्की कॉलगर्ल बन गई थी. अब आगे.. अब मेरी हालत ऐसी हो गई थी, जैसे मैं कोई खेलने की वस्तु थी. हर कोई मुझे अपनी गोदी में बैठाना चाहता था और रात को वो सब सच करवाना भी चाहता था, जो कोई भी अय्याश किसी लड़की के साथ करते हैं, मगर सुबह के उजाले में वो मेरी परछाई भी देखना पसंद नहीं करते थे. खैर.. अब मुझे सबसे पहले खुद को लोगों की नज़र भी बचा कर रखना था, जिसके लिए मैं प्रयत्न किया करती थी. मेरे पास अब दो मोबाइल थे. एक तो जिसमें चुदाई के लिए मैसेज मिला करते थे और दूसरा जिस पर मैं अपने जान पहचान व रिश्तेदारों से बात करती थी. जिस मोबाइल पर मुझे चुदाई के मैसेज मिलते थे, उसे मैं छुपा कर रखती थी और नॉर्मली उसे वाइब्रेशन मोड पर रख कर अपने मम्मों के बीच रखा करती थी ताकि कभी भी वो मोबाइल किसी के हाथ ना लगे. आमतौर पर मैं फोन अटेंड नहीं करती थी और मैसेज देख कर या तो जवाब दे देती थी या फिर मैसेज भेजती थी. इस तरह से मुझे ग्राहक मिला करते थे. एक दिन वो फोन किसी से चुदाई करवाते हुए गलती से उसी ग्राहक के पास ही रह गया. मुझे तो पता नहीं था कि कहाँ